- फेलिसिटी थिएटर इंदौर में "हमारे राम" प्रस्तुत करता है
- जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल को एआईएमए मैनेजिंग इंडिया अवार्ड्स में मिला 'बिजनेस लीडर ऑफ डिकेड' का पुरस्कार
- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
किडनी की बीमारी में प्रिवेंटिव इलाज व जागरुकता का महत्व

इंदौर। वल्र्ड किडनी दिवस की थीम, ‘किडनी हैल्थ फाॅर एवरीवन एवरीव्हेयर- फ्राॅम प्रिवेंशन टू डिटेक्शन एंड ईक्विटेबल एक्सेस टू केयर’ (हर किसी के लिए हर जगह किडनी का स्वास्थ्य- पहचान से रोकथाम एवं इलाज की एक समान उपलब्धता)।
दुनिया में क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) मौत का छठवां मुख्य कारण है और दुनिया में एक्यूट किडनी डिज़ीज़ से हर साल लगभग 1.7 मिलियन लोगों के मरने का अनुमान है। एक अनुमान से भारत में लगभग 7.8 मिलियन लोग क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ से पीड़ित हैं1।
डाॅक्टर ओपी राठी, डीएम नेफ्रोलाॅजिस्ट, बाॅम्बे हाॅस्पिटल ने कहा, ‘‘क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) में किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती हैं। किडनी के काम करने की क्षमता में कमी को क्रोनिक समस्या की श्रेणी में रखा जा सकता है। किडनी का सामान्य काम है, शरीर के अतिरिक्त साल्ट को खून में छानना और फिर बाहर निकाला, लेकिन सीकेडी पीड़ितों की किडनी खून में से साल्ट को छानने में असमर्थ हो जाती हैं, जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और डायलिसिस या फिर किडनी के प्रत्यारोपण की नौबत भी आ सकती है।’’
बीमारी के नियंत्रण व रोकथाम केंद्रों के अनुसार, सीकेडी का सबसे मुख्य कारण डायबिटिक नेफ्रोपैथी है। उन्होंने यह भी कहा कि डायबिटीज़ से पीड़ित 3 में से 1 व्यस्क एवं उच्च रक्तचाप वाले 5 में से 1 व्यस्क में यह बीमारी हो सकती है। डायबिटीज़ एवं उच्च रक्तचाप के अलावा, अन्य समस्याएं, जिनसे इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है, उनमें दिल की बीमारी, मोटापा (वजन ज्यादा होना) तथा परिवार में इस बीमारी का इतिहास है।
आम तौर पर बेसिक डायग्नोस्टिक्स एवं समय पर उपचार द्वारा किडनी की बीमारी को रोका जा सकता है तथा किडनी की बीमारी को अंतिम चरण में बढ़ने से रोका जा सकता है या फिर उसे विलंबित किया जा सकता है। इसके संकेतों के बारे में, डाॅक्टर राठी ने कहा, ‘‘किडनी की बीमारी के लक्षण फौरन नहीं दिखते, इसलिए आपकी किडनी स्वस्थ हैं या नहीं, इसकी जाँच कराया जाना आवश्यक है। इसका मतलब यह है कि लोगों, सर्विस प्रदाताओं एवं पाॅलिसी निर्माताओं में प्रिवेंटिव उपायों के महत्व की जागरुकता बढ़ाया जाना आवश्यक है।’’
क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ के लक्षणों में तलवों, टखनियों या पैरों में सूजन (एडिमा), लगातार उच्च रक्तचाप, थकान एवं हड्डियों की क्षति शामिल है। एक सेहतमंद जीवनशैली से डायबिटीज़ एवं किडनी की बीमारी को रोका जा सकता है। विशेषज्ञ नमक कम लेने, कम फैट वाला आहार लेने, 30 मिनट का दैनिक व्यायाम करने तथा नियमित तौर पर डाॅक्टर से जाँच कराने का परामर्श देते हैं।
डाॅ. राठी ने बताया, ‘‘यद्यपि आपकी किडनी को सेहतमंद रखना, खून में शुगर को नियंत्रित रखने के लिए यह सब बहुत आवश्यक है। लेकिन मरीज को डाॅक्टर द्वारा अनुशंसित मेडिकल कोर्स का पालन भी बहुत आवश्यक है। अनेक लोग बीच में ही कोर्स छोड़ देते हैं, जिससे उन्हें दवाईयों का कोई फायदा नहीं मिल पाता।’’
वल्र्ड किडनी डे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाकर यह सुनिश्चित करना है कि लोग सेहतमंद जीवनशैली में जिएं और उन्हें उच्च गुणवत्ता की हैल्थकेयर सेवाएं उपलब्ध हो सकें, जिससे हर व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर हो।